यहां पर अध्याय का नाम मुद्रा और साख है। सबसे पहले मुद्रा क्या है। सामान्य भाषा में मुद्रा किसी भी लेन – देन के लिए काम में आने वाली एक आवश्यकता है। एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते है। आपके पास गेहुं है। आपको जूतों की आवश्यकता है। लेकिन दुकानदार आपसे गेहूं लेकर जूते नहीं दे रहा ।
आप क्या करने वाले है। जाहिर सी बात है। आप गेहूं बेचते है। रूपये लेते है। अब आप उनसे जूते खरीदते है। यहां आपने देखा कि रूपयें से आप जूतें खरीद पा रहें है। तब यहीं रूपया भारत की मुद्रा है। जिससे आप कोई भी लेन-देन कर पा रहें है। यानि आपके विनिमय का माध्यम रूपया है। मुद्रा किसी भी देश में कोई भी वस्तु खरीदने के लिए एक समग्र विनिमय का माध्यम हैं। जो आपके लेन-देन को सहज बना देता है।
करेंसी :-
मुद्रा के आधुनिक रूप में कागज के नोट तथा सिक्के आते है। पुराने समय में मुद्रा कीमती धातु जैसे सोना, चांदी ताबां आदि की बनी होती थी । लेकिन आज-कल ऐसा नहीं है। आधुनिक मुद्रा कागज के नोटों की बनी है। यह कोई पशु – पक्षी या वस्तु नहीं है। फिर भी यह क्यों हर जगह चलती है। ऐसा केवल इसलिए है।
यह भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत है। पुराने समय में यह राजा – महाराजाओं द्वारा मान्यता प्राप्त होती थी। इसे विनिमय के माध्यम के रूप में स्थापित किया गया है। भारत में रिजर्व बैंक केन्द्र सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
बैंक में निक्षेप :-
बैंक वह स्थान है। जहां से व्यक्ति करेंसी प्राप्त कर सकते है। लोग रूपये बैंक में रखते है। जितनी जरूरत होती है। उतना पैसा निकालते है। इससे अधिक पैसा बैंक में निक्षेप के रूप में होता है। बैंक आपके जमा पैसों पर आपको ब्याज भी देता है। इसी के साथ यदि आपको अधिक पैसों की आवश्यकता होती है।
तब आपसे ब्याज के रूप में अधिक पैसा लेता भी है। जब आप अधिक राशि किसी अन्य व्यक्ति का स्थानान्तरित करते है। तब आप चैक का उपयोग कर सकते है।
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